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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 03)









सुंदरवन

सुबह होने को थी। चिड़ियों के कलरव के साथ थोड़ी-थोड़ी दूर पर नसों की भांति फैली हुई नदियों का कल-कल का मधुर स्वर गूंज रहा था। वातावरण में असीम शांति थी, वातावरण से सोंधापन की खुशबू आ रही थी।

"गाइज़! देखों सुबह हो गयी है।" अपने टेंट से बाहर आकर दोनों हाथों को ऊपर उठाकर अकड़ाते हुए ऊँघकर शिवि चिल्लाती है। सब जल्दी-जल्दी टेंट्स से बाहर आते हैं।

"यहां का सूर्योदय तो वाकई कमाल का है।" अमन अपनी आँखों को मलता हुआ कहता है।

"अगर एक महीना पहले ही यहां आ जाते तो यह नजारे मुश्किल से मिलते।" विस्तार अपने बाल सहलाते हुए बोलता है।

"हाँ हाँ तुम एक महीना कहकर 50 दिन बिता दिए वरना यह नजारा पहले देखने को मिल जाता।" अमन रूठने के भाव में कहता है।
सूर्य तेज लाली लिए जंगल के पीछे समुद्र से उठ रहा था, उसके चारों ओर हल्का पीला-लाल घेरा बना हुआ था। आसपास का वातावरण सुकून देने वाला था, ऐसे में दूर उड़ती चिड़िया काफी छोटे बिंदु के भांति प्रतीत हो रही थी।

"दोस्तो!" अपनी आंख मलते हुए जय हड़बड़ाकर बोलता है, जैसे उसने कुछ ऐसा देख लिया हो जिसपर यकीन करना मुश्किल हो गया हो।

"क्या हुआ..!" उसके हैरानी भरे चीख को सुनकर सब पूछने लगते हैं।

"सूर्य की दिशा देखो। ये उसी तरफ से उग रहा है जिस तरफ से कल डूबा था।" जय परेशान स्वर में सूर्य की ओर इंगित करता हुआ बोला।

"पर मुझे तो ऐसा नही लगता।" शिवि बोलती है।

"लगता है तुम्हारा दिमाग सरक गया है जय! सूर्य उधर से ही उगा है जिधर से उसे उगना है, अब हमें यहां से उत्तर की ओर जाना है क्योंकि दक्षिण की ओर खतरा हो सकता है।" टूरिस्ट गाइड बुक से निर्देशो को पढ़ता हुआ बोला।

"तो हमें चलना चाहिए!" आँसू शांत स्वर में पूछती है। जय अब भी परेशान था पर उसे समझ नही आ रहा था कि वह अपनी बात को सिद्ध कैसे करे।

"नही! आप में से कोई भी हमारे बिना नही जाएगा।" फारेस्ट ऑफिसर शुभ चेतावनी के स्वर में बोला।

"बट सर! हमारे पास आपकी दी हुई गाइड बुक है और हम साउथ नही नार्थ-वेस्ट में जा रहे हैं। वैसे भी कोई प्रॉब्लम होने पर आपका दिया हुआ यह वायरलेस फोन है ही।" शिल्पी एक्सप्लेन करने की कोशिश करती है।

"पर ये हमारी ड्यूटी है, अगर आप मे से किसी को कुछ भी हो गया तो…!" शुभ उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए बोले। "हमारी टीम आपके साथ ही जाएगी आप चाहें माने या न माने और अब शाम से पहले यहां आ जाना है क्योंकि अब हमें जंगल में रुकने की इजाजत नही मिल सकती।"

"आप लोग परेशान क्यों होते हैं, हम यहीं से घूमकर आ जाते हैं।" अमित, शुभ को निश्चित कराने के उद्देश्य से बोला।

"ठीक है! हम सब यही से निगरानी रखेंगे।" शुभ बोलता हैं।

"पर हम बच्चे नही हैं और हम एक घण्टे में लौट आएंगे। कोई भी प्रॉब्लम होगी तो सम्पर्क कर लेंगे। और हाँ आप हमारे लिए भोजन की व्यवस्था करवा दीजियेगा प्लीज।" विस्तार बड़े प्यार से बोलता है।

"भोजन!" शुभ भिन्नाते हुए अपनी नाक खुजाकर बोलता है। "हमारा काम आप लोगो को सुरक्षित जंगल घुमाना है आपको अपना भोजन स्वयं लाना चाहिए।"

"ठीक है सरकार! आप जीते हम हारे अब बताइये हम क्या करें।" केशव अपने दोनों हाथ खड़े करता हुआ बोला। बाकियों को केशव का यह व्यवहार समझ न आया, वह अमन के कान में कुछ बोलता है उसके बाद अमन सबको इशारा करता है कि शुभ की बात मान लें।

"ये हुई ना अच्छे बच्चों वाली बात!" एक लम्बी दाढ़ीवाला अधेड़ फारेस्ट गार्ड मुस्कुराकर बोला।

"ठीक है सर तो हमारे साथ बैठकर चिप्स और कॉफ़ी वगैरह ले लीजिए, अब सफर में तो थकान होगी ही।" अमन सबको चिप्स के पैकेट और कॉफी का कप थमाते हुए बोला। आँसू को अमन का यह व्यवहार पसन्द आता है पर बाकियों को समझ में नही आता कि यह अचानक से इतना कैसे बदल गया। उधर जय अपने ही विचारों में गुम था कि यहां हो क्या रहा है!

कॉफी पीते ही गार्ड्स की आँखो के सामने अंधेरा छाने लगा, वे अपनी ही जगह पर गिरकर पसर गए। यह देखकर अमन और केशव मुस्कुराए।

"यह तुमने क्या किया!" विस्तार यह देखकर सन्न रह गया।

"हमें स्वच्छंद रूप से घूमने के लिए यह करना आवश्यक था विस्तार जी।" इससे पहले अमन कोई जवाब देता, केशव उसे समझाता है।

"पर…!" विस्तार को अब भी यह सब सही नही लग रहा था, उसका दिल जोर से धड़का।

"कोई पर वर नही जल्दी चलो, इस दवा का असर एक घण्टे में समाप्त हो जाएगा।" अमन अपना बैग, जरूरी सामान और हुक वाली रस्सी उठाते हुए बोला।

"तुम लोगों ने ऐसी दवाई पहले से रख रखी थी?" शिल्पी चिल्लाते हुए अपने मुँह पर हाथ रख स्वर धीमा करने की कोशिश करती है।

"बातों में समय व्यर्थ न कीजिये। शीघ्र-अतिशीघ्र यहां से निकल लिया जाए।" अमित आगे आगे चलते हुए कहता है। जय को यह सब सही नही लग रहा है पर वह किसी से नही कह सकता था। विस्तार भी अब थोड़ा परेशान नजर आ रहा था।

अमन टूरिस्ट बुक से नक्शा निकालकर सूर्य के उगने के अनुसार उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ता हैं, थोड़ी दूर चलने के पश्चात उन्हें एहसास होता है कि कहीं वे गलत रास्ते पर तो नही आ गए परन्तु यहाँ की भौगोलिक स्थिति समय समय पर बदलती रहती होगी यह सोचकर वे सभी आगे बढ़ते रहे।

"संभलकर आगे दलदल है।" अमन नक्से को देखकर सावधान करता हुआ बोला। सब सावधानी से पेड़ो के तनो से चिपक-चिपककर सरकते हुए आगे बढ़ते हैं परन्तु वहां पर कोई दलदल नही होता।

"यह कैसे हुआ यहां तो लिखा हुआ है कि यह दलदल कभी ठोस नही हो पाता।" अमन हैरानी भरे स्वर में बोला।

"मुझे कब से किसी अनिष्ट की आशंका हो रही है। चलो लौट चले फिर गार्ड्स के साथ घूम लेंगे।" जय के स्वर में भय का मिश्रण था।

"तुम कब से इन सब से डरने लगे जय?" शिवि पूछती है, विस्तार और आँसू को छोड़ बाकी सब हँसने लगते हैं।

जंगल घना होता जा रहा था। नक्शे में लिखी एक भी बात को सच न पाकर अमन उसे फेंक देता है। सभी एक एक कदम फूंक-फूंककर बढ़ रहे थे। सामने एक दूसरा टापू था जो यहाँ भरे जल के कारण अलग हो गया था। उसकी खूबसूरती देखते बनती थी चारो ओर सुंदरी के पेड़ थे, जमीन पर हरी घाँस। पानी में किसी प्रकार के खतरनाक जीव होने का कोई संकेत नही मिलता। थोड़ी दूर आगे बढ़ने के बाद उन्हें एक प्राकृतिक पुल मिलता है जो दो पेड़ो की शाखाओं के आपस मे लिपटने से बना था। सभी सावधानी से इस पुल को पारकर दूसरी ओर पहुँचते हैं। वहां सूर्य की किरण बस नाममात्र की पहुंच रही थी, जमीन हल्की दलदली थी पर इतनी नही की पैर धंस जाए। मुलायम बड़ी-बड़ी घास ऐसे लहरा रही थी मानो झुककर उनका  प्यार से स्वागत कर रही हो। अब तक एक घण्टे  से अधिक समय बीत चुका था।

■■■

पूर्वस्थान (जहाँ सब रुके हुए थे)

शुभ अपनी आंख मलते हुए उठता है। वह अपने चारों तरफ अपने साथियों को बेहोश पाता है। वह अपना बोतल निकालकर आँखों पर पानी का छींटा मारता है उसके तरफ कॉफ़ी के कप और अधखाये चिप्स के पैकेट बिखरे हुए पड़े थे। वह अपने साथियों को जोर-जोर से चिल्लाकर जगाता है, उन सब में उन्हें कोई भी टूरिस्ट नही मिलता वह हैरान रह जाता है।

"वे सब कहाँ गए?" शुभ चिल्लाकर पूछता है।

"पता नही सर!" एक गॉर्ड आंखों को मलते हुए जवाब देता है।

"उन्हें जल्दी से ढूँढना होगा अन्यथा हम राघव जी को क्या जवाब देंगे।" शुभ घबराहट भरे शब्दों में कहता है।

"पर हम उन्हें ढूंढेंगे कैसे? और वे हम सबको इतनी आसानी से बेवकूफ बनाकर कैसे चले गए!" एक दूसरा गॉर्ड अपना सिर पकड़ते हुए कहता है।

"ओह्ह! कही उन्हें कोई किडनैप तो नही कर लिया?" एक अन्य गॉर्ड अपनी शंका जाहिर करता है।

"नही!" शुभ कठोर स्वर में कहता है।

"ये आप इतने विश्वास से कैसे कह सकते हैं सर!" वह गॉर्ड पूछता है।

"क्योंकि कोई भी बेवकूफ एक साथ सभी को किडनैप नही करेगा और अगर किसी ने ऐसा किया भी तो वह उसके सामान को भी साथ लेकर नही जाएगा। हमें बेवकूफ बनाने वाला राघव जी का बेटा और उसके साथी ही है। … ये मुझे पहले समझ क्यों नही आया?" शुभ समझाते हुए अचानक से चौंककर कहता है।

"क्या सर!"

"हमें कॉफी के साथ नींद की गोली दी गयी थी। हालांकि इसकी डोज़ नार्मल से कम थी फिर भी कुछ समय के लिए सुलाने के लिए काफी है।" शुभ बोलता है।

"अब हम क्या करें सर?" सामान उठाकर तैयार होते हुए एक गॉर्ड पूछता है।

"उनके पास उत्तर-पश्चिम का नक्शा था यानी वे यही कहीं पास में ही होंगे। दलदली इलाको में उनके कदमो के निशान आसानी से मिल जाएंगे। मूव ऑन! उन्हें ढूंढते ही अब उन्हें सीधा उनके घर वापिस भेज देंगे हम इतना बड़ा रिस्क नही उठा सकते।" लम्बे कदमों से आगे बढ़ता हुआ शुभ बोला।

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"सर एक घण्टे हो चुके हैं अब तो हम जंगल के काफी अंदर आ चुके हैं इस तरफ किसी के होने के संकेत दिखाई नही देते।" एक गॉर्ड ऊँचे स्वर में कहता है। शुभ अपने साथियों के साथ मिलकर उत्तर-पश्चिम के हर इलाके को पूरी तरह छान मारता है पर वहां कुछ भी नही मिलता।

"हम राघव जी को क्या जवाब देंगे!" चिंतित स्वर में एक अन्य गॉर्ड कहता है।

"बात उनका जवाब देने की नही है श्रीधर! बात अपने ड्यूटी को निभाने की है अगर उन्हें कुछ हो गया तो हमारी वर्दी पर दाग लग जायेगा।" शुभ चिंतित होकर कहता है।

"खुदा न करें ऐसा हो सर! परन्तु उत्तर-पश्चिम टापुओं में ऐसा कोई विशेष खतरा नही है और नक्शा तो है ही उनके पास।" लम्बी दाढ़ी वाला एक व्यक्ति बोलता है।

"तुम्हें यहां का अच्छा एक्सपीरियंस है खान! बताओ हम अब क्या करें?" शुभ कातर दृष्टि से पूछता है। उम्र में काफी कम होने के बाद भी प्रकृति प्रेमी और उग्र स्वभाव का था। अमन के पिता राघव ने शुभ और उसके परिवार की बहुत मदद की थी, कुछ महिनों पहले की उसकी पोस्टिंग सुंदरवन के नार्थ-वेस्ट में हुई थी क्योंकि साउथ में जाने की हिम्मत किसी में नही होती इसलिए सारे गार्ड्स नार्थ में चौकियों पर तैनात रहते हैं। केवल शुभ के यहां होने के कारण राघव जी ने विस्तार और सबको सुंदरवन की ट्रिप पर जाने की अनुमति प्रदान की थी।

"नही सर! अगर वो उत्तर-पश्चिम में होते तो दो-तीन टापुओं को घुमने के पश्चात वे स्वयं ही वापस आ जाते या उनके होने के निशान जरूर मिल जाते।" खान शंकित होकर कहता है।

"क्या मतलब!" शुभ चौंका।

"सर क्यों न हम वायरलेस से उनको सम्पर्क साधने की कोशिश करें।" एक गॉर्ड पूछता है।

"ओह्ह! हम तो हड़बड़ी में भूल ही गए। रितेश थोड़ा ऊपर जाकर सम्पर्क साधने की कोशिश करो।" शुभ एक युवा गॉर्ड को कहता है।

"सर अब बाकी बचे सात गार्ड्स भी आ चुके हैं। वे इधर नही हैं।" गॉर्ड चिंतित स्वर में बोला।

"मैं और मेरी टीम के 10 मेंबर अब सब यही हैं पर उनका कोई पता नही। अब यह किसी बड़े अनिष्ट का संकेत तो नही।" शुभ अपना सर पकड़कर वहीं बैठते हुए कहता है।

"सर वायरलेस से भी सम्पर्क नही हो पा रहा है।" रितेश चिल्लाता है।

"हे भगवान!" शुभ अब भी दोनों हाथों से अपना सिर पकड़े हुए था।

"या अल्लाह! उन बच्चों पर रहम कर।" खान अपने दोनों हथेलियों को जोड़कर दुआ करने लगता है। "इसका मतलब वे उत्तर में नही दक्षिण में चले गए हैं सर।"

"क्या??" सब चौंक जाते हैं।

"हमें उन्हें जल्दी से जल्दी ढूंढना होगा।" शुभ एक नक्सा निकालते हुए बोला।

"नही सर हमें बाहर जाकर और सुरक्षा दस्ता को बुलाना होगा।" रितेश कहता है।

"नही रितेश हमारे पास इतना वक़्त नही है। हमें खुद ही जल्दी से जल्दी आगे बढ़ना होगा।" शुभ आदेश के स्वर में कहता है, सभी उसके सहमति में सिर हिलाते हैं और उसके पीछे-पीछे चलने लगते हैं।

■■■

अब तक चलते-चलते अमन और उसके साथी काफी अंदर तक चले गए थे। जमीन दलदली थी इसलिए पेंडो के सहारे चलना पड़ रहा था। थोड़ी ही देर में वे बाहर आये जहाँ से सूर्य की हल्की सी किरण पेंडो की पत्तो से छनकर आ रही थी।

"कितना खूबसूरत है न ये जंगल!" शिल्पी चहकते हुए विस्तार से कहती है।

"हाँ! मुझे भी दिख रहा है।" विस्तार उसे खुद से दूर करता हुआ कहता है।

"मैंने तो सुना है यहां आदमखोर बाघ रहते हैं फिर हमें एक भी दिख क्यों नही रहे।" केशव को भी यह सब थोड़ा विचित्र लगने लगा था।

"रहते होंगे पर हमारे साथ आप हैं ना तो आप से डरकर भाग गए होंगे हीहीही..।" अमित, केशव की बात का मजाक उड़ाता है।

"तुम कुछ बोल क्यों नही रहे जय!" शिवि जय से पूछती है जो अब तक चुप था और कुछ समझने की कोशिश कर रहा था।

"नही! बस ऐसे ही।" जय ने सपाट उत्तर दिया।

"प्रकृति वाकई बहुत ही सुंदर है। हम शहर में रहने वाले इसकी सरसता-सरलता और मधुरता को नही समझ सकते।" आँसू टापू के दूसरी ओर पानी के जवाब और उसमें उगे शैवालों के ऊपर गुलाबी रंग की पंखुड़ियों को देखकर कहती है। "सच कहें तो प्रकृति बिन बोले बिन कुछ कहे भी जीवन का सार सुना देती है।" उसका पूरा ध्यान नील हरित शैवाल के ऊपर गुलाबी पंखुड़ियों पर था।

"लो देवी जी का ज्ञान फिर आरम्भ हो गया। वैसे तो बोलती नही और जब बोलती हैं तो पूरा का पूरा सर के ऊपर से जाता है।" केशव मुँह पर हाथ रखकर हँसते हुए कहता है।

"तो उसे बोलने दे न भाई! तू क्यों बीच में पड़ रहा।" अमन को यह बुरी तरह चुभा था। फिर सब आगे बढ़ते है।

"अरे वहाँ देखो वहां क्या है?" थोड़ी दूर आगे जाते ही शिल्पी अपने बाएं हाथ से इशारा करते हुए हैरानी से बोली।

"क्या? यह असम्भव है।" शिवि की आँखे हैरानी से बड़ी होती गयी।

"इस बीहड़ जंगल में यह कैसे हो सकता है?" केशव को भी यकीन नही था।

"मुझे तो आज सुबह से किसी भी बात पर विश्वास नही हो रहा है।" जय के स्वर में निराशा थी।

"जंगल के कई किलोमीटर अंदर एक रहस्यमयी किला!" आँसू को भी अपनी आँखों पर यकीन नही हुआ।

"एक किला! जो सैकड़ो वर्ष पुराना लग रहा है तो फिर इसके बारे में कभी किसी को पता क्यों नही चला।" विस्तार को भी कुछ समझ नही आ रहा था।

"अरे मित्रों तो इसमे इतना हैरान होने वाली क्या बात है! हम बाहर जाकर सबको बता देंगे कि यहां एक खूबसूरत किला है।" अमित सबको शांत करने का प्रयास करता है।

'एक किला! जिसके बारे में अब तक किसी को कुछ पता नही। आखिर चक्कर क्या है' विस्तार अपने मन में विचार करता है।

"अरे इतना सोचिये नही। चलिए आज किसी देवता के दर्शन करके आते हैं।" कहता हुआ अमित आगे बढ़ा।  काफी दूर आगे जाने के बाद भी उन्हें उस टापू तक जाने का रास्ता नही मिला। अचानक से उन्हें याद आया कि वे चलते चलते मंदिर के पास आ चुके हैं पर कैसे? किसी को भी ध्यान नही की उसने कोई पुल पार किया हो। विस्तार सबके पीछे चल रहा था अब तक सब के सब थककर चूर हो गए थे। थकान हद से ज्यादा बढ़ती जा रही थी फिर भी वे चलते रहे। थोड़ी देर बाद वे उस किले के पास पहुँच गए।

किला सैकड़ो वर्ष पुराना प्रतीत हो रहा था। अनगिनत पेड़ो के बीच काले रंग के इस किले पर किसी ने ध्यान नही दिया होगा अन्यथा यह तो वास्तुकला का अद्भुत नमूना बनाकर पेश किया जाता। पत्थरों को खरोंचकर शानदार नक्काशी की गई थी, मुख्य द्वार के ऊपर बड़ा सा ओमेगा साइन बना हुआ था। पास जाने पर किले के चारो ओर एक पतली नदी दिखी जो उसको ओमेगा के रूप में घेरे हुए थी अतः किले में जाने के लिए बस एक ओर से ही मार्ग था।

क्रमशः….


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6 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:05 PM

Nice part ,

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Farhat

25-Nov-2021 06:29 PM

Good

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 06:10 PM

बहुत ही खूबसूरत स्टोरी

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